आज कहता है मन कुछ लिख जाऊ ..
चंद लोगो के लिए ज़िन्दगी जी जाऊ
गीत मेरे शायद सब समझ न पाए
फिर भी उन् गीतों को गुनगुनाता जाऊ ..
दिल कहता है मै कुछ कर गुज़र जाऊ ..
पर डर है किसी और मसले में उलझ कर न रह जाऊ ..
दिल व्यस्त है खुद की ही उलझनों मै
फिर भी वो कहता है किसी की ज़िन्दगी सुलझा जाऊ ..
एक सवाल फिर भी ज़हन मै मेरे आता जाएगा ..
क्या वक़्त योंही बीत जाएगा ..?
या मेरा भी कल किसी के काम आयेगा ..
क्यों कल कोई फिर मेरे गीत गुनगुनाएगा . .?
ऐ दोस्त ज़िन्दगी तो सभी जिते है ..
ये बताओ कितनो के दिल तुमने जीते है
सभी यही कहते है मै इस देश के लिए जियूंगा
पर क्यों मुट्ठी भर लोग इस मुल्क के लिए जान कुरबा करते है ..
क्या कमी रह गई थी इस देश को आज़ाद करने मै
क्या ज़िन्दगी यूही बीत जाएगी चंद रूपया कमाने मै
कोई आज सर पर कफ़न बंधने को तैयार नही दिखता
घर सब के बस जाएगे ये मालूम है हमे ,
पर दूर कही देखने पर ये मुल्क मुझे आज़ाद नहीं दिखता ...
ये मुल्क मुझे आज़ाद नहीं दिखता ...
जय हिंद ...
जय भारत ..