Sunday 24 October 2010

they call me mad....

वो शाम का वक़्त सूरज बस अपनी ड्यूटी पूरी कर लौटने ही वाला था । में सड़क के किनारे खड़ा था । तभी मेरी नज़र एक शख्स पर गई । कई दिनों से में रोज़ से उस शख्स को देख रह था। वो हेमेशा किसी सोच में डूबा हुआ ही दिखता, वो कही भी बैठ जाता, और सोचने लगता । बस एक गंभीर मुद्रा ज़मीन की और टक- टकी । फिर खड़े हो कर फिर चल पड़ना, दोनों हाथो को पीछे कर। अपनी ही धुन न जाने क्या चल रह था दिमाग में। देखने पर हट्टा कट्टा इन्सान,अच्छे घर से ताल्लुक है । वो पास ही बने एक चोकीदार के ईट से बने घर के सामने पोहोचा और चोकीदार के चार साल के लड़के के साथ रस्ते पर चल रही चीटियो को देखने लगा। बोहोत देर तक वो दोनों देखते रहे । वो छोटा बच्चा थोड़ी देर असहज महसूस कर रह था, पर फिर कुछ देर बाद वो घुल मिल गए। एक ३५ वर्ष का आदमी और ४ साल का बच्चा सड़क पर खड़े हो कर चीटिया देख कर खुश हो रहे है कुछ अजीब लगा । फिर वो शख्स कुछ और सोच कर चलने लगा। अब बच्चा थोडा दुखी हुआ के उसका साथी जा रहा है । वो दौड़ कर उसके पास पोहचा और साथ चलने लगा, अपना दाहिना हाथ उस शख्स के हाथ में दिया ..और दोनों हाथ पकड़ कर चलने लगे । वो बच्चा उसकी तरफ देख कर हस हस कर बातें करता रहा था ,और वो आँखों से ओझल हो गए ।

हर सख्स अगर उस पागल के साथ उस बच्चे की तरह व्यवहार करता तो शायद वो आज पागल नहीं होता । उस बच्चे में वो समझदारी नहीं थी उसका पर वो कई समझदार लोगो और पढ़े लिखे लोगो से आगे निकल गया ।

1 comment:

  1. ye samvedansheelta ab sirf bachchon me bachi hai.....bahut badiya observation aur analysis....

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