Thursday 18 February 2010

हम "इंडियंस"

एक और नयी तस्वीर जो हम हिन्दुस्तानियो की देश भक्ति दिखा रही। ये तस्वीर कुछ फिर सोचने पर मजबूर कर रही है के हम कितना चाहते है अपने देश को, और कितना गर्व है हमें अपने भारतीय होने का? वैसे सभी को हक़ है अपने तरीके से जीने का, भले ही वो कोई हिन्दुस्तानी हो या अमरीकन।
क्यों देश भक्ति या कहे "patriotism" सुन कर सबसे पहले हमारे दिमाग में १५ अगस्त और २६ जनवरी घुमने लगताहै? या हमारी patriotic फीलिंग्स किसी आतंकवादी हमले के बाद आसमान छूने लगती है? या किसी टीवी चेनल के साप्ताहिक प्रोग्राम में जिसमे देश के कई मुद्दों पर चर्चा होती है, और हम सरकार या पकिस्तान को गालिया दे कर जताते है। तब सभी लोग देश पर चर्चा ऐसे करते है जैसे के कल ही पूरा मुल्क इस चर्चा के बाद आने वाले नतीजो से बदल जाएगा।
हमारी
गली के वर्मा जी भी उस टीवी शो में गए कई ढेरो बातें उन्होंने कही लगा इनसे बड़ा कोई देशभक्त हो ही नहीं सकता। लेकिन वापस आते वक़्त वो एक चोराहे पर एक पुलिस वाले द्वारा धर लिए गए अब क्या था, गाँधी जी की तस्वीर आज भी काम रही है ,जेब में ही थी, हवालदार को २० रुपये की पत्ती थमाई और अपना सारा देश प्रेम वही धो दिया।हमारे नेता देश भक्ति मे सबसे उपर आते है क्यों की वही कुछ लोग है जो सारे समय देश की सोचते है पर उनकी भी देश भक्ति चरम पर तब होती
है, जब चुनाव आने वाले हो। भाषण बाजी करना तो वो उपर से ही लिखवा कर लाए है मोहल्ले में जब चुनाव प्रचार के लिए गाड़ी आती है। जिसपर बड़े बड़े लाउडस्पीकर बंधे होते है और उसमे देश भक्ति के गाने बजते है, चारो और ऐसा माहोल हो जाता है जैसे कल ही भारत आजाद हुआ हो।
अब बात रही हिंदी भाषा की तो इससे शर्म की बात क्या होगी के देश में अब हिंदी दिवस मनाया जाने लगा है जिस दिन लोग हिंदी में बात करते है, और हिंदी को प्रोत्साहित किया जाता है। वाकई में ये शर्म नाक बात है के हिन्दुस्तान के लोगो को अपनी मातृभाषा को जिन्दा रखने के लिए अब हिंदी दिवस मानना पड रहा है। कभी तो सोचना पड़ता है के धन्यवाद कहू के थैंक्स ? क्योंकी अंग्रेज़ी इस्टेट्स सिम्बोल है और हिंदी, स्कूली किताबो का हिस्सा भर बन कर रह गई है, या आम बोल चाल की भाषा
देश का तिरंगा १५ अगस्त और २६ जनवरी को ही याद आता है, जो तीन रंगों से डिजाईन किया एक कपडे काटुकड़ा हो गया हैअब तो ये प्लास्टिक पर भी छपते हैऔर हर राष्ट्रीय दिवस पर ये प्लास्टिक के तिरंगे कसी गरीब की रोज़ी रोटी और कमाई का जरिया बन जाते है। आप देखिएगा किसी चौराहे पर आपको कोई बच्चा तिरंगे बैचते मिल जाएगा। १० साल का धीरज १५ अगस्त के दिन तिरंगा एक स्कुल के बहार बेचता हैस्कुल के बच्चे उससे तिरंगा खरीदते है, १५ अगस्त के समारोह के दौरान ये बच्चो के मनोरंजन का हिस्सा हो जाते है१५ अगस्तके समरोह के बाद बच्चो को इनमे कोई दिलचस्पी नहीं होती और फिर तिरंगे यहाँ वहा सडको पर या गटर में बह जाते हैखेर ये तो बच्चे है , बेचने वाला भी और खरीद ने वाला भीएक के लिए वो कमाई का जरिया और एक के लिए मनोरंजनवयस्कों के लिए भी शायद अब ये कोई गंभीर विषय नहीं हैबस डर इस बात का है, के कही हम अपने इतिहास को ही भुला देराष्ट्र गीत और राष्ट्र गान अब सिर्फ फोर्मलिटी बन कर रह गए हैये सरकारी विभागों में राष्ट्रीय दिवस पर या स्कुलो में गाए जाते हैकई लोग तो बस इतना याद रखते है के हां हम स्कूल के दिनों में गाया करते थे।कई लोग तो ये याद रखने की भी जरूरत नहीं समझते। पर एक बात है, के जब भी कही ये राष्ट्र गीत बजता है हर भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते है और वो पूरी तरह से भावुक हो ही जाता है

हम भारतीय है , हम सब एक है , अपने देश से प्यार भी करते है , और हर कोई ज़रूरत आने पर मर मिट सकता है देश के लिएपर क्या इस देश का हर नागरिक जो भी काम करता होचाहे वो रोज़ी रोटी कमाना हो या समाज सेवा करनाअगर हम हर काम को देश की उन्नति से जोड़ कर देखे तो ये भी देश प्रेम ही होगादेश प्रेम सिर्फ देश के लिए बातें करने , पकिस्तान को गालिया देने , १५ अगस्त पर मजबूरी में दफ्तर जाने , और राष्ट्र गान के समय खड़े हो जाने से ही नहीं होताये तो वही फीलिंग है जो हर इंसान अपने घर को बनने के लिए रखता है। कई लोग अपने स्तर पर देश के लिए काम कर रहे है और देश का नाम रोशन कर रहे है । आप भी कीजिये और देश को उन्नति की ओर ले जाइये । पर अपने राष्ट्रीय भाषा , झंडे और गीत का सम्मान करिए ।क्योकि कई लोग आज भी सरहदों पर अपनी जान इस देश के लिए दे रहे है।

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