Tuesday 16 February 2010

कंडीशन अप्लाए

उसने चलना शुरू किया,
हर कदम पर कुछ नया सिखा।
जो सिखा उससे उसका आत्मविश्वास,
कई गुना बढता जाता।

वो खुश था ,
अनजान इस दुनिया से
क्योकि किताबी दुनिया का साथ
अभी नहीं छुटा था।

किताबो से बोहोत व्यवहारिक
और विज्ञानिक ज्ञान लिया उसने।
अब हर डगर उससे आसन लगती
और होती भी है।

पर अब वो इस दुनिया में
उतरता है अपने ज्ञान के सहारे।
जो अब तक सिखा उसे उपयोग करने
कुछ बनाने और कुछ बदलने


पर अफ़सोस वो कुछ और पता है,
दुनिया किताबो से बिलकुल उलटी है।


पर वो फिर मुस्कुरा देता है ,
ये सोच कर के शायद उसने जो किताबे पढ़ी,
लेखक शायद उनपर "
कंडीशन अप्लाये"
लिखना भूल गया।

अब वो बैठ कर विश्लेषण करता है,
क्या किताबो में जो लिखा वो सब फ़िज़ूल था?
या उसे अब फिर से एक नयी पाठ शाला में भेज दिया है,
जहा उसे वो सब फिर से सीखना होगा जो ज़िन्दगी को,
जीने के लिए जरूरी है, जिसमे नैतिकता और इन्सानिअत,
कही दब कर रह गई है

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